Battle of Saragarhi सारागढ़ी युद्ध : कैसे 21 बहादुर सैनिकों ने 10,000 दुश्मनों का मुकाबला किया

in #india5 years ago (edited)

यह महान कहानी Battle of Saragarhi की है, जब 21 बहादुर सैनिकों ने 10,000 दुश्मनों का मुकाबला किया. सन 1897 में हुए सारागढ़ी युद्ध में 21 बहादुर भारतीय सैनिकों ने 10,000 अफगान पश्तूनों से जबर्दस्त मुकाबला किया था.

आपने बहुचर्चित हॉलीवुड मूवी 300 तो जरुर देखी होगी. नहीं देखी तो हम कहानी बता देते हैं. 300 एक एतिहासिक घटना पर आधारित है, जब थर्मोपयले के युद्ध में स्पार्टा के राजा लियोनाइडस ने अपने 300 बहादुर स्पार्टन सैनिकों के साथ पर्शिया की भारी सेना का बहादुरी से मुकाबला किया.

300 मूवी काफी हिट हुई, इसके स्पेशल इफ़ेक्ट तो जबर्दस्त हैं. लेकिन दुनिया को छोड़िये, हमारे भारतीय वीर भी कुछ कम नहीं. सारागढ़ी की जंग भारतीय इतिहास में छुपी ऐसी ही एक महान दास्तान है.

सारागढ़ी की लड़ाई (Saragarhi war) के विषय पर 2019में ही एक फिल्म Kesari भी रिलीज़ होने वाली है.

सारागढ़ी युद्ध की कहानी:-12 सितम्बर 1897 को सारागढ़ी नामक स्थान पर यह युद्ध लड़ा गया था. यह स्थान आजकल आधुनिक पाकिस्तान में है. उस दिन का घटनाक्रम कुछ इस प्रकार है. 10000 अफ़ग़ान पश्तूनों ने तत्कालीन भारतीय आर्मी पोस्ट सारागढ़ी पर आक्रमण कर दिया.

सारागढ़ी किले पर बनी आर्मी पोस्ट पर ब्रिटिश इंडियन आर्मी की 36वीं सिख बटालियन के 21 सिख सिपाही तैनात थे. अफगानों को लगा कि इस छोटी सी पोस्ट को जीतना काफी आसान होगा. पर ऐसा समझना उनकी भारी भूल साबित हुई.

उन्हें नहीं पता था कि जाबांज सिख किस मिट्टी के बने हुए थे. उन बहादुरों ने भागने के बजाय अपनी आखिरी सांस तक लड़ने का फैसला किया. जब गोलियां खत्म हो गयी तो तलवारों से युद्ध हुआ. ऐसा घमासान युद्ध हुआ कि उसकी मिसालें आज तक दी जाती हैं.

इतिहासकार मानते हैं कि ये इतिहास का ऐसा महानतम युद्ध है, जब योद्धा आमने-सामने की लड़ाई में आखिरी साँस तक अद्भुत वीरता से लड़े. मानव इतिहास में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं है, जब ऐसा भयंकर मुकाबला हुआ हो. इतिहास में सारागढ़ी युद्ध थर्मोपयले के युद्ध के समकक्ष ही माना जाता है.

अंत में 21 के 21 सिख सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए, लेकिन 600 से अधिक अफगानों को मौत के घाट उतारकर. अफ़ग़ान जीत तो गए लेकिन उनका भारी नुकसान भी हुआ था. इस युद्ध के दो दिन बाद ब्रिटिश आर्मी ने आक्रमण करके पुनः सारागढ़ी पोस्ट पर कब्जा कर लिया.

उन महान भारतीय सैनिकों को मरणोपरांत British Empire की तरफ से बहादुरी का सर्वोच्च पुरस्कार Indian Order of Merit प्रदान किया गया. यह पुरस्कार आज के परमवीर चक्र के बराबर है.

12 सितम्बर को Saragarhi Day घोषित किया गया और यह आज भी हर वर्ष ब्रिटेन, इंग्लैंड में मनाया जाता है. भारत में सिख रेजीमेंट इसे Regimental Battle Honours Day के रूप में मनाती है.

बड़े दुःख की बात है कि हमारे इतिहास में मुगलों के आक्रमण और अत्याचारों की कहानी तो खूब पढाई जाती है, लेकिन सारागढ़ी युद्ध की अद्भुत बहादुरी की गाथा को कोई स्थान नहीं दिया गया.

ठीक ऐसे ही 1st और 2nd विश्व युद्ध के दौरान दुनिया भर में मारे गये भारतीय जवानों की बहादुरी की दास्ताँ भी भुला दी गयी है.

Internet के ज़माने में आज ये सब जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध है, जरुरत है कि हम Indian अपना इतिहास जानें, अपनी जड़ों से जुड़ें और खुद पर गर्व करना सीखें. सारागढ़ी युद्ध बारे में जानकारी के लिए आप यह किताब The Battle of Saragarhi : The Last Stand of 36th Sikh Regiment खरीद सकते हैं.

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