जीव की गति ~ 1
प्रश्न - कौन से मनुष्य मरने के बाद भूत प्रेत बनते हैं?
उत्तर- जिन मनुष्य का खानपान अशुद्ध होता है, जिनके आचरण खराब होते हैं, जो दुर्गुण दुराचार में लगे रहते हैं, जिनका दूसरों को दुख देने का स्वभाव है, जो केवल अपनी ही जिद रखते हैं, ऐसे मनुष्य मरने के बाद क्रूर स्वभाव वाले भूत प्रेत बनते हैं। ये जिनमें में प्रविष्ट होते हैं, उनको बहुत दुख देते हैं और मंत्र आदि से भी जल्दी नहीं निकलते।
जिन मनुष्य का स्वभाव शुद्ध है, खान-पान शुद्ध है, स्वभाव सौम्य है, दूसरों को दुख देने का नहीं है, परंतु सांसारिक वस्तुओं में जैसे कि स्त्री पुत्र धन, जमीन आदि में जिनकी आसक्ति रहती है, ऐसे मनुष्य मरने के बाद सौम्य स्वभाव वाले भूत प्रेत बनते हैं। यह किसी में भी प्रवेश हो जाते हैं तो उसको दुख नहीं देते, और खुद अपनी गति का उपाय भी बता देते हैं
जिस मनुष्य को अपनी विद्या का बहुत अभिमान अथवा मद होता है, और उस अभिमान के कारण दूसरों को नीचा दिखाते हैं, दूसरों का अपमान अथवा तिरस्कार करते हैं, जो दूसरों को कुछ भी नहीं समझते ऐसे मनुष्य मर कर ब्रह्मराक्षस अथवा जिन्न बनते हैं। ये किसी में प्रविष्ट हो जाते हैं, अगर किसी को पकड़ लेते हैं, तो बिना अपनी इच्छा के उसको छोड़ते ही नहीं इन पर किसी भी तंत्र-मंत्र का कोई असर नहीं होता। दूसरा कोई उन पर मंत्रों का प्रयोग करता है, तो यह खुद उन मंत्र को बोलने लग जाते हैं।
जो स्त्री पर पुरुष का चिंतन करते रहती है, अथवा जिसकी पर पुरुष में ज्यादा आसक्ति होती है, वह मरने के बाद चुड़ैल बन जाती है।
सामान्यतया भूत-प्रेतों का यह नियम रहता है, कि पुरुष भूत प्रेत बनकर पुरुष को ही पकड़ते हैं अथवा दुख देते हैं। और स्त्री भूत प्रेत बनकर स्त्रियों को ही पकड़ती है, व दुख देती है। परंतु चुड़ैल बनकर स्त्री भूत सिर्फ पुरुषों को ही पकड़ती है, और उनका खून चूसती है, शोषण करती है। कुछ चुड़ैले पुरुषों को अपने वश में रखती है परंतु उनको सुख वह आराम देती है।
विशेष - उपरोक्त सारी जानकारी स्वामी रामसुखदास जी महाराज के ग्रंथ ( जो गीता पर आधारित है ) "गीता दर्पण" से ली गई है। यदि इस जानकारी के संबंध में आपकी कोई जिज्ञासा है तो कमेंट में आप अपना प्रश्न कर सकते हैं।
yours - indianculture1
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