Rushi Gyan (25)

"रुषति - गच्छति संसारपारम् इति । " यह ऋषि कि व्यख्या हे . ऋषि कि आंखो के सामने सन्सार के पारलौकिक कल्याण का स्पष्ट दर्शन होता है . ऋषि इन्सान का सच्चा अप्तजन हे

India rushigyan.com Joined September 2018 Active 4 years ago