Beautiful thought
सहनशीलता और समर्पण समाज में आपकी उपयोगिता और मूल्य दोनों को बढ़ा देते हैं।
जिस तरह एक जौहरी किसी मूल्यवान आभूषण के निर्माण से पहले स्वर्ण को अग्नि में तपाता है, पीटता है लेकिन इतने आघातों को सहने के बावजूद भी स्वर्ण कभी विरोध नहीं करता इसी को समर्पण कहा जाता है।
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