ऐसा ख़ामोश तो मंज़र ना फ़ना का होता

in #busy5 years ago

ऐसा ख़ामोश तो मंज़र ना फ़ना का होता
मेरी तस्वीर भी गिरती तो छनाका होता

यूं भी इक बार तो होता कि समुंद्र बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता

सांस मौसम की भी कुछ देर को चलने लगती
कोई झोंका तरी पलकों की हुआ का होता

कांच के पार तिरे हाथ नज़र आते हैं
काश ख़ुशबू की तरह रंग-ए-हिना का होता

क्यों मरी शक्ल पहन लेता है छपने के लिए
एक चेहरा कोई अपना भी ख़ुदा का होता

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Calling @originalworks :)
img credz: pixabay.com
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