इंदौर में घरेलू कचरे से बनी खाद से लहलहा रही फसल।
आजकल घरों से रोजाना निकले वाला हजारों-लाखों टन कचरा हमारे जीवन के लिए एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। हालांकि इन कचरों के निस्तारण के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की कई योजनाएं फाइलों में चल रही है। लेकिन इन सबके बीच इंदौर में घरेलू कचरे के निस्तारण के प्रणेता बने है। इंजीनियर राकेश उपाध्याय। जी हा, जब आज के युवा इंजीनियर बनकर देश के अलग-अलग महानगरों और विदेशो में पैसा कमाने की जदोजहद में लगे है। वही इंजीनियर राकेश उपाध्याय घरों के कचरे के निस्तारण में लगे हुए है। और आज वे इंदौर के लोगों के लिए प्रेरणा बने हुए है। राकेश खुद घरेलू कचरे की बखूबी निस्तारण करके उन्हे खाद की शक्ल देकर खेती में प्रयोग कर रहे है। तो उनकी इस अनुकरणीय प्रयास की पूरे इंदौर में सराहना हो रही है। उनका अनुसरण अब दूसरे भी रकने लगे है। राकेश के प्रयास ने इंदौर शहर को दो चीजे अच्छी साबित होगी। पहला यह कि एक तो इंदौर शहर कचरा रहित होगा और दूसरा घेरलू खाद से घर की बागवानी और अन्य जगह की खेती सुन्दर होगी।
इंजीनियर राकेश उपाध्याय ने बातचीत करने हुए बताया कि शहरों में घरों का कचरा सभी के लिए एक बड़ी परेशानी बनइ हुई है। लेकिर वही कचरा खेती में खाद की तरह प्रयोग में लाए जाएं तो शहरों में कचरे की समस्याएं का भी हल हो जाएगा। और खेरती में हानिकारक खाद का प्रयोग भी नही करना पड़ेगा। जिसमें लोगों को जहर मुक्त व स्वास्थ्य को लाभ पहुंचने वाली साम्रगी मिलेगी। उन्होंने कहा कि करीब डेढ माह पहले 1000 वर्ग मीटर के प्लाट के केले के पेड़ लाए और उस में पेड़ की जड़ों में 6 इंच लेयर का घरों का कचरा डाला। डेढ़ माह के बाद वही केले के पेड़ बिना किसी यूरिया के लगभग 4 फीट ऊंचे हो गए। उन्होने बताया कि इस प्रकार की ’जीरो बजट’ खेती करने से भारत सरकार को पांच लाख करोड़ का लाभ मिलेगा। जिसमे हमारे देश को आर्थिक लाभ के साथ साथ देश के आम नागिरक को भी यूरिया रहित खाद सामाग्री मिले।
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