भारत

in #indian5 years ago

नमस्कार साथियों

आज हम बात करेंगे भारत की। जी हाँ, भारत की। जो वर्तमान परिदृश्य में विश्व की उभरती हुई आर्थिक और सेनिक शक्ति हैं। जी आज विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखती हैं। वो भारत, जिसे विश्व की सभ्यताओं के महापुरुषो ने जानना और समझना चाहा। आज भी सम्पुर्ण विश्व का हर समझदार व्यक्ति इसे देखने की तमन्ना रखता हैं, इसे समझना और जानना चाहता हैं।
उपलब्ध इतिहास के आधार पर हम सबूतों के साथ इस बात को आसानी से प्रमाणित कर सकते हैं, कि विश्व के बहुत से महापुरुष आये तो भारत को देखने और यहाँ की सभ्यता को जानने और समझने थे, पर वो यहीं के हो कर रह गये। उन्होने अपना पूरा जीवन यहाँ खपा दिया, पर वो पूर्णतया यहाँ की एक विशेषता को भी नही जान और समझ पाये।
यहाँ के कोई भी छोटे से छोटे विषय को ले लिजिये, उसमें इतनी विविधताएं हैं, कि उन सबको समझने के लिये, सिखने और जानने के लिये भारत भूमि पर पैदा होना पड़ेगा। बाहरी किसी भी देश अथवा सभ्यता मे अपना बचपन बिताने के बाद आप भारत को नही समझ सकते।
जो बात भारतीयों के वंशानुगत गुणों ( Hereditary qualities ) में हैं। विविधता इतनी कि एक बाहर का नया व्यक्ति इनको देखकर कन्फ्यूज और आश्चर्यचकित हो जाता हैं।
पुरुषो द्वारा पहनी जाने वाली धोती ( एक बिना सिला हुआ वस्त्र होता हैं) जिसको पहनने के मारवाड़ में जितनी जातियां हैं, उतने ही तरीके भी हैं। जी हाँ, लगभग 40 तरीको से धोती पहनी जाती हैं। पहनी हुई धोती को देखकर उसकी जाती का अनुमान लगा लेने की समझ यहाँ के छोटे छोटे बालको में सहज ही विद्यमान हैं। जब एक मारवाड़ परगने में इसको पहनने के इतने तरीके हैं, तो भारत तो इस परगने से 300 गूणा बड़ा हैं। आप अनुमान भी नही लगा सकते। वैसे ही पुरुषो के द्वारा पहना जाने वाला शर्ट, साफा या महिलाओं के वस्त्र, गहने, उनके द्वारा किया जाने वाला श्रंगार आदि।
जब मात्र शरीर पर धारण किये जाने वाले परिधानो मे इतनी विविधता हैं, तो भारतीयों के मन और मान्यताओं की विविधताओं की न तो गणना की जा सकती हैं, और न ही उनको समझ जा सकता हैं।
जब इतनी विविधताएं हैं, तो एकता कैसे ?
पर एकता ऐसी कि कश्मीर के व्यक्ति को कन्याकुमारी का व्यक्ति देखते ही विश्व के किसी भी कोने में पहचान लेगा, कि ये भारतीय हैं।
इतने तरह के परिधान, इतनी भाषायें, इतने देवी और देवता, इतने धर्म, इतनी जातियां ( यहाँ के मुसलमान समाज में भी अनगिनत जातियां हैं, उपजातियां हैं कि खुद वो भी सब जातियों से परिचित नही) इतनी भौगोलिक विविधताएँ, इतने गांव और कस्बे आदि आदि।।
दिमाग में इतना कुछ समाया हुआ हैं, फिर भी किसी भी क्षेत्र में पीछे नही। नयी से नयी तकनिक हो अथवा पुराना से पुराना जुगाड़, सभी क्षेत्रों मे अग्रणी ही मिलेंगे।
विश्व के किसी भी देश में चले जाईये, तकनिकी हो, व्यापार हो, कृषी हो अथवा अन्य कोई भी क्षेत्र, भारतीय आपको अग्रणी पंक्ति में ही मिलेंगे। अनेक देशो की अर्थव्यवस्था का आधार ही भारतीय हैं। सलीके से जीवन जीना हो, अथवा मस्त मौला होकर जीना हो, सब जगह सामन्जस्य ऐसा कि वहाँ के पारंगत नागरिक भी मूल ओर मेहमान का फर्क नही कर पाते।
इस कड़ी को आगे जारी रखेंगे।
फिलहाल
शुभ रात्री।

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