जब भी जख्म तेरे यादों के भरने लगते है

in #poetry6 years ago

जब भी जख्म तेरे यादों के भरने लगते है,
किसी बहाने हम तुम्हे याद करने लगते है
हर अजनबी चेहरा पहचाना दिखाई देता है
जब भी हम तेरी गली से गुजरने लगते है
जिस रात को चाँद से तेरी बातें की हमने
सुबह की आँख मे आँसू उभरने लगते है
जिसने भर दिया दामन को बेरंग फूलों से
उनके एक दर्द पर हम क्यों तड़पने लगते है
दिल के दरवाजे पर कोई दस्तक नही होती
तेरा जिक्र’ होते ही दरो दीवार महकने लगते है
मिटा दे हर ख्याल जेहन की किताब से लेकिन
इबारत पे उनका नाम देखकर सिसकने लगते है

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