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RE: गीता-सार

in #philosophy6 years ago

आज के युग में बिना लक्ष्य निर्धारित किये हम सबकुछ हासिल नही कर सकते जो हम करना चाहते है। और अगर बात की जाए अधर्म की तो मेरे अनुसार जो व्यक्ति छल-कपट से दूसरों को सताता है, उन्हें नुकसान पहुंचाता है , वह अधर्मी है।

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आप आखिर हासिल क्या करना चाहते हैं?

आपने कुछ कृत्यों को अधर्म की संज्ञा दी है वो व्यवहार पक्ष से बिलकुल ठीक है; लेकिन क्या धर्म मार्ग पर अग्रसर न होना अधर्म नहीं? तो उसे क्या कहना चाहिए? "धर्म-विमुखता" कहना थोड़ा उदासीन प्रतीत होता है; परंतु अगर ध्रुवीकरण की विचारधारा से देखें तो जो धर्म नहीं, वो अधर्म ही हुआ 😊

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