आज के युग में बिना लक्ष्य निर्धारित किये हम सबकुछ हासिल नही कर सकते जो हम करना चाहते है। और अगर बात की जाए अधर्म की तो मेरे अनुसार जो व्यक्ति छल-कपट से दूसरों को सताता है, उन्हें नुकसान पहुंचाता है , वह अधर्मी है।
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आज के युग में बिना लक्ष्य निर्धारित किये हम सबकुछ हासिल नही कर सकते जो हम करना चाहते है। और अगर बात की जाए अधर्म की तो मेरे अनुसार जो व्यक्ति छल-कपट से दूसरों को सताता है, उन्हें नुकसान पहुंचाता है , वह अधर्मी है।
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आप आखिर हासिल क्या करना चाहते हैं?
आपने कुछ कृत्यों को अधर्म की संज्ञा दी है वो व्यवहार पक्ष से बिलकुल ठीक है; लेकिन क्या धर्म मार्ग पर अग्रसर न होना अधर्म नहीं? तो उसे क्या कहना चाहिए? "धर्म-विमुखता" कहना थोड़ा उदासीन प्रतीत होता है; परंतु अगर ध्रुवीकरण की विचारधारा से देखें तो जो धर्म नहीं, वो अधर्म ही हुआ 😊